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शिवहर: 18वीं लोकसभा चुनाव में देश की एकता ,अखंडता और सुरक्षा के बजाय महंगाई और बेरोजगारी को दी जा रही तरजीह-उद्योगपति नीरज कुमार सिंह


      
 राष्ट्र प्रथम की भावना से लड़े और चुनाव जीते 

शिवहर: चुनावी मौसम में वेद शास्त्रों और आचार्य चाणक्य के राष्ट्र पूरक नीति वचन की याद आना लाजमी है ।जिसमें कहा गया है कि जनता ऐसे दूरदर्शी ,त्यागी नीतिवान और चरित्रवान व्यक्ति का चुनाव करें जिससे देश को बेहतरी की तरफ ले जाने और दुनिया में सम्मान दिलाने की क्षमता हो ।एक नागरिक का कर्तव्य अपने देश के प्रति कैसा होना चाहिए इस पर चाणक्य कहना है ,कर्तव्य को विवेक से करना नीतिवान मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। इसलिए भली प्रकार सोच विचार कर या अवसर को पहचानने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

 शिवहर जिले के मथुरापुर निवासी उद्योगपति नीरज कुमार सिंह ने बताया है कि 5 साल बाद जनता को अवसर मिलता है कि निवर्तमान सरकार के कार्यों, नीतियों और निर्णय का बेहतर मूल्यांकन कर नई सरकार के लिए बगैर किसी लालच के बगैर खूब सोच समझ कर अपना मत दे ,यानी ईवीएम का बटन दबाए।

उद्योगपति श्री सिंह ने बताया है कि तमाम तरह के सर्वे समझने की कोशिश करते रहे हैं कि आम चुनाव में भी क्षेत्रीय मुद्दे और जात-पात की मानसिकता हावी है। हम मतदाता अपने नागरिक कर्तव्यों को बेहतर सोच और परिणाम के साथ निभाने में हमेशा पीछे रहते हैं ,वरना क्या वजह है कि दुनिया के तमाम देशों में जहां सरकार बनाने के लिए 80 से 90% मतदान होता है, वहीं भारत में 50 या 60 प्रतिशत के आसपास ही मतदान होता है।

उन्होंने कहा कि ताजा सर्वेक्षण तस्दीक करते हैं कि देश की एकता ,अखंडता और सुरक्षा के वजह महंगाई और बेरोजगारी को तरजीह दी जा रही है। यानी आतंक, धारा 370 ,समान नागरिक संहिता (कानून ),विदेशी घुसपैठ जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मिता के मुद्दे ज्यादातर लोगों के लिए अहमियत नहीं रखते यानी राष्ट्र प्रथम के ऊपर


 महंगाई और बेरोजगारी भारी पड़ रही है।

यदि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की बात कही जा रही है तो उन सभी मुद्दों, समस्याओं विसंगतियों और खामियों पर ईमानदारी से कौन गौर करना होगा जो भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में रुकावट है।

उद्योगपति व सामाजिक कार्यकर्ता नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि बढ़ती आबादी ,घटते संसाधन और लोगों को अति महत्वाकांक्षा को पूरा करने की चुनौती केंद्र में आने वाली सरकार के सामने होगी ही ।ऐसे में संकीर्ण दायरे और सोच से बाहर आना होगा ।तभी भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा सकेगा ।उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी राजनीतिक दल राष्ट्र प्रथम की भावना से चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे भी। तथा मतदाता भी राष्ट्र प्रथम की भावना से मतदान करेंगे।

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