आजमगढ़, संवाददाता सुहेलदेव स्मृति मासिक पत्रिका के पूर्व संपादक डॉ पंचम राजभर ने उप्र सरकार से पत्र लिखकर मांग किया है कि जनपद आजमगढ़ में स्थापित महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय का विधिक रूप से नाम परिवर्तित कर वीर महाराजा सुहेलदेव राजभर विश्वविद्यालय आजमगढ़ रखा जाय डॉ राजभर ने एक प्रेस विज्ञति में कहा है कि 11 वीं सदी के तत्कालीन आवस्ती के सम्राट नायक महाराजा सुहेलदेव जी के देश की अखंडता, संप्रभुता, सांस्कृतिक सभ्यता धर्म मानवीय धर्म सहित सनातन धर्म को रा के प्रति उनके राष्ट्रीय योगदान को देखते हुए समाज व देश की कृतज्ञता एक्म हेतु महाराजा सुहेलदेव जी के नाम पर सरकार द्वारा राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ की स्थापना का कार्य एवं महाराजा सुहेलदेव जी के सदियों से विस्मृत गौरवमयी ऐतिहासिक पृषिभूमि को सामाजिक पटल पर उजागर किया जाना अत्यंत प्रशसनीय एवं अनुकरणीय है। जैसा कि सर्वविदित है कि कोई भी देशभक्त, राष्ट्रपुरुष सम्पूर्ण देश की राय धरोहर है, वह सभी जाति धर्म से ऊपर है। परंतु भारतीय समाज में बहुप्रचलित चतुष्य वर्णाश्रम की प्रथा में निहित सामाजिक व्यवस्था के विधान में विखण्डित क्षेत्र, वंश, जाति, धर्म आदि व्यवस्था के अनुसार अन्य महापुरुषो जीवन वृतान् इतिहास में उनकी जाति, धर्म आदि भी होता है, ठीक उसी तरह महाराजा सुहेलदेव जी भी सामाजिक व्यवस्था की प्रथा से आच्छादित है व्यवस्था की प्रथा से आच्छादित इनके जीवन परिचय बारे में भी प्रामाणिक ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक अभिलेखों व साक्ष्यों के अनुसार भारत की प्राचीन मूलतः प्रसिद्ध गौरवशाली भारशिव नागवंशीय शासक कौम भर दवदल राजभर जाति का होना अंकित है। इसलिए अन्य महापुरुषों की तरह इनका भी पूरा नाम राखी महाराजा सुहेलदेव राजभर अमरपूतों के केजी का अंकन होना लोक भावना के अनुरुप साचत है। साथ ही साथ यह भी निवेदित है कि विश्वविद्यालय प्रांगण में जहां अभी तक महाराजा की प्रतिमा स्थापित नहीं है।
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1 टिप्पणियाँ
जय महराजा सुहेलदेव राजभर जी
जवाब देंहटाएंनाम के साथ सम्मन जनक राजभर सरनेम होना चाहिए