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बहराइच: चित्तौरा झील के तट हिंदू चक्रवर्ती सम्राट सुहेलदेव राजभर जी का 989 वा विजयवोत्सव मनाया गया ।

बहराइच: सम्राट महाराजा सुहेलदेव का विजय महोत्सव कार्यक्रम पौराणिक चितौरा झील के पावन तट पर श्रद्धा उल्लास और आस्था के मनाया गया। तराई व पूर्वांचल समेत नेपाल से जुड़े सैकड़ो आस्थावान श्रद्धालुओं ने चितौरा झील के तट पर स्थित महाराजा सुहेलदेव जी के आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया तथा पूर्वांचल समेत सम्पूर्ण भारत मे राष्ट्र नायक सुहेलदेव के विजयी यश गाथा को जन-जन तक पहुचाने का संकल्प लिया। पौराणिक चितौरा झील के पावन तट पर अखिल भारतीय क्षत्रीय राजपूत संगठन एवं महाराजा सुहेलदेव सेवा समिति के तत्वावधान ने आज विजय महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष राणा विजय भार शिव ने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट सुहेलदेव राजभर समाज के नेतृत्व करता तथा रास्ट्र नायक थे जिन्होंने ग्यारहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रांता सैयद सलार मसूद गाजी को व उसके एक लाख से भी अधि कि सेना को बहराइच की धरती पर मार डाला था मारे गए आक्रांताओं की अस्थियां अब भी बहराइच की धरती पर यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं आवाहन करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्र के पुनर जागरण एवं भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए आवश्यक है कि महाराज सुहेलदेव के विजयी इतिहास से जन-जन को अवगत करवाया जाए और श्रावस्ती हवाई अड्डे समेत अन्य राष्ट्रीय स्थलों का नाम महाराजा सुहेलदेव के नाम पर नामकरण किया जाए तभी गौरवशाली इतिहास का पुनरावलोकन हो सकेगा।


स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद अध्यक्ष समाजसेवी अनिल त्रिपाठी ने कहा कि महाराज सुहेलदेव बहराइच के संस्थापक थे जनकी यश कीर्ति पटाका समूचे भारत मे लहराती थी अब आवश्यकता इस बात की है कि महाराज का यशोगान इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में अंकित किया जाए सके ताकि भारत का विजयी इतिहास से जन मानस अवगत हो सके संकल्प लिया।और आम जन भी महाराजा सुहेलदेव में अपनी आस्था व्यक्त कर सके | कार्यक्रम का संचालन करते हुए महामना मालवीय मिशन अध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव एडवोकेट ने बताया की चितौरा के पौराणिक सुहेलदेव स्मारक स्थल पर लगभग तीन दशक से लगातार विजायी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है और महाराजा के यशस्वी गाथा को प्रदेश व देश में लगाता प्रेसित किया जा रहा है इसी नाते से स्मारक स्थल भव्य एवं दिव्य रूप से निर्मित हो रहा है। मिशन अध्यक्ष ने आवाहन किया कि स्मारक स्थल पर एक संस्कृत महाविद्यालय व कृषि महाविद्यालय की स्थापना हो सके इसके लिए जन जागरण अभियान चलाया जाना जनहित व समाज हित में आवश्यक है।
महाराजा सुहेलदेव सेवा समिति महासचिव अर्जुन कुमार दिलीप ने महाराजा सुहेलदेव के यशोगान को विस्तृत रूप से व्यक्त करते हुए स्मारक स्थल को राष्ट्रीय स्मारक एवं रास्ट्र पुरुष के रूप में अंकित किये जाने का आवाहन किया । कार्यक्रम को क्षत्रीय राजपूत संगठन जिलाध्यक्ष रामायण भार शिव व जिला प्रभारी परशुराम भार शिव समाज सेवी महिला नेत्री निशा शर्मा आदि ने भी संबोधित कर महाराजा सुहेलदेव के व्यक्तित्व को प्रचंड राष्ट्रवाद का अवलम्बन बताते हुए चितौरा झील को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किये जाने की मांग की। आयोजकों की ओर से जनपद के वरिष्ठ समाजसेवी डॉ० कपिल शुक्ल, डॉ० राधेश्याम श्रीवास्तव एडवोकेट, समाजसेवी पुण्डरीक पाण्डेय, पंकज श्रीवास्तव. विवेक सक्सेना, डॉ. सुधाकांत सक्सेना
रितेश सक्सेना, कृष्णलाल श्रीवास्तव, अखिलेश श्रीवास्तव अब्दुल साहिद समाजसेवी अनिल त्रिपाठी, राजेश राजभर पवन राजभर, अर्जुन राजभर, विनोद कुमार सिंह, आदित्य भान सिंह आदि को अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया भी गया। समापन अवसर पर विजयी शौर्य यात्रा निकल कर महाराजा सुहेलदेव का यशोगान किया गया पूर्वाचल के जिलों से आये हुए सैंकड़ों आस्थावान जनों ने पौराणिक चितौरा झील के तट पर सम्राट सुहेलदेव के यशस्वी विजयी ध्वजा को समूचे भारत में फहराने का सामूहिक फैसला लिया गया ।

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