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गाजीपुर:हवा की तबियत खराब है, न कहिए कि नीयत खराब है

डा एमडी सिंह द्वारा लिखित कविता हवा की तबियत खराब है, न कहिए कि नीयत खराब है



गाजीपुर: चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्मी से इन दिनों समूचा जनमानस परेशान है। इस भीषण गर्मी से यदि कोई राहत दे सकता है तो वह सिर्फ 'हवा' है, लेकिन हवा भी इस समय बेरुखी के अंदाज में है। चारों तरफगर्मी से त्राहिमाम मचा हुआ है। पापी पेट के लिए यदि कमाने की जरुरत नहीं होती तो इस भीषण गर्मी में कोई घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता, लेकिन क्या करें इस पेट ने मजबूर कर दिया है। 'हवा' शब्द अपने आप में ही पूरा आक्सीजन है, जो कि दैनिक जीवन में मनुष्य व पशु-पक्षियों के लिए नितांत आवश्यक है। इसके बिना जीवन ही नहीं जिया जा सकता है। सोचिए यदि यही 'हवा' बेवफाई पर उतर आये तो क्या होगा। 'हवा' रुपी आक्सीजन पर जीवन से जुड़ी एक सच्चे पहलू पर प्रख्यात होम्यिोपैथिक चिकित्सक व चर्चित कवि डा. एमडी सिंह ने एक कविता की रचना की है। जिसे सुनने व पढ़ने के बाद हवा का आपके जीवन में क्या महत्व है और उसके बिना अपना जीवन कैसा होगा इस बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है। वैसे तो डा. एमडी सिंह की कई काच्य रचनाएं महहूर हो चुकी है, लेकिन 'हवा' नाम की उनकी यह कविता इन ।

दिनों हर किसी की जुबान पर सुनने को मिल रही है। कैंसर से लेकर अन्य कई असाध्य रोगों पर होम्योपैथिक पद्धति के अनुसार दवाओं की खोज करने में जुटे डा. एमडी सिंह ने हृदय में एक महान कवि भी छिपा हुआ है। जिसे वह अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते है। इनकी कई काव्य रचनाएं जिसमें से 'कक्कुर' व अन्य कई पूर्वांचल विश्वविद्यालय के एमए फाइलन के समेस्टर में शामिल किया गया है। हवा की तबीयत ख़राब है, न कहिए कि नीयत (मंशा) खराब है। कहीं सर्दी उकसा रही उसे तो गर्मी दिखाए रुआब है, और कोई साथ दे ना दे हो रहा बादल बेताब (व्याग्र) है। खड़ी गुमसुम सी है जो हवा, मन बसा दरखूतों (वृक्ष) का खूवाब है। लाई तूफ्फन मकानों में, पीठ पर समंदर का आब (पानी) है। बन आग समाई सीने में, यह रहन-सहन का हिसाब है। 'हवा' यानि जीवन रुपी आक्सीजन पर आधारित डा. एमडी सिंह की इस काव्य रचना का हर कोई दिवाना हो गया है। इस सम्बंध में डा. एमडी सिंह ने 'डीएनए' जिला संवाददाता से हुई वार्ता के दौरान बताया कि प्रदूषण ने हवा के स्वास्थ्य को बीमार सा बना दिया है। इसी पर आधारित इस कविता की रचना की गई है।


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