दुर्ग: जिले के ग्राम डुमरडीह में रहने खाली दोनों ही युक्त चक्रभारी व यमुनाचारी ने अपने चट्टान जैसे मजबूत इरादों के साथ विषम परिस्थितियों को मात दी। ईंट बनाने के काम के साथ दोनों ने न उसमें शानदार उपलब्धियां हासिल की।
8-10 घंटे ईट बनाने और घर के कामों के बीच जमकर पढ़ाई
यमुना दिन में ईंट बनाने के बाद घर पर सेल्फ स्टडी करती थी. नीट में 720 में 516 नंबर आए हैं. ऑल इंडिया रैंकिंग 93683 और ओबीसी में 42684 रैंक है. जिस तरह से गर्म भट्ठे में तपकर एक एक ईंट तैयार होता है, उसी तरह यमुना के इरादे भी दिन ब दिन फैलाद की तरह मजबूत होते गए. भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी, लेकिन पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने के उसके जो इरादे चट्टान की तरह मजबूत थे. नतीजा ये रहा कि उसने नीट क्वालीफाई कर न सिर्फ दुर्ग जिला बल्कि प्रदेश का मान बढ़ाया है.
मजबूत इरादे, रोज के इस दौर में दो बहनों के पालन भी नहीं है। इसकी वजह से उन्होंने पुस्तकों की मदद से ही पढ़ाई कर परीक्षा की तैयारी की
मोबाइल फोन भी नहीं पुस्तकों से ही की पढ़ाई
को बड़ी बहन सुक्ति यूनिवर्सिटी दूसरी टॉपर रहीं छोटी यमुना ने मेडिकल में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा नीट में सफलता हासिल प्रस्तुत की है। नीट
में 720 में से 516 अंक लेकर अंत दिया बैंक 93,683 व कैटेगिरी (ओबीसी) बैंक 42.864।
परिवार की स्थिति बेहतर न होने के बाद भी इन बेटियों ने न सिर्फ घरवालों का हाथ बंटाया, बल्कि अपने सपने को पूरा करने के लिए मेहनत में कोई कमी नहीं आने दी. आर्थिक दुश्वारियों और संसाधनों के अभाव के बावजूद मुकाम हासिल कर मां बाप को नाज करने का मौका दिया.
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