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उत्तर प्रदेश सरकार ने आईटी एवं आईटीईएस क्षेत्र में पांच हजार करोड़ का निवेश और एक लाख को रोजगार:कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में अगले पांच वर्ष में सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा से जुड़े उद्योगों में पांच हजार करोड़ का निवेश अर्जित कर एक लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। आईटी-आईटीइएस के क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों को न्यूनतम पांच करोड़ रुपये के निवेश पर दस प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी इसकी अधिकतम सीमा 50 करोड़ रुपये होगी
यूपी में सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए सरकारी उपक्रमों को एक रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से ग्राम पंचायत व राजस्व भूमि दी जाएगी। निजी क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना के लिए 15 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्ष के लिए पट्टे पर दी जाएगी। 

औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि पश्चिमांचल, मध्यांचल, बुंदेलखंड में निवेश करने वाले निवेशकों को न्यूनतम रोजगार मानदंड पूरा करने पर भूमि की लागत पर 25 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। इसकी अधिकतम सीमा 50 करोड़ रुपये होगी। उन्होंने बताया कि स्वीकृत पेटेंट पर वास्तविक फाइलिंग चार्ज का शत प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। घरेलू पेटेंट के लिए इसकी सीमा पांच लाख और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए दस लाख रुपये होगी।

आईटी सिटी और पार्क स्थापित करने पर मिलेगी 25 प्रतिशत सब्सिडी

प्रत्येक मंडल में एक आईटी पार्क बनाएंगे

नई नीति में इन पर रहेगा फोकस

इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग में एक हजार करोड़ रुपये तक के निवेश पर मिलेगी सब्सिडी

भविष्य निधि की प्रतिपूर्ति करेगी सरकार

पिछली नीति से मिला 20 हजार करोड़ का निवेश

सोलर पावर प्लांट के लिए निजी क्षेत्र को 15 हजार प्रति एकड़ में मिलेगी जमीन

सोलर सिटी के रूप में विकसित होगा अयोध्या

30 हजार युवकों को संयंत्रों के अनुरक्षण का प्रशिक्षण

वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए प्रदेश के ताप बिजलीघरों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) तकनीक की स्थापना की जाएगी। 

सहारनपुर में कमांडो ट्रेनिंग सेंटर के लिए निशुल्क जमीन देने को हरी झंडी

प्रदेश में बनाया जाएगा शक्तिपीठ और क्राफ्ट सर्किट
प्रदेश के मिर्जापुर स्थित विंध्यवासिनी शक्ति पीठ से लेकर सहारनपुर शाकुंभरी देवी सहित सभी प्रमुख शक्तिपीठों को जोड़ते हुए शक्तिपीठ सर्किट की स्थापना की जाएगी। 

ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने मीडिया सेंटर में कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में अनेक जिलों में हैंडीक्त्रसफ्ट का काम होता है। कहीं मार्बल पर तो कहीं ग्लास, पीतल, हथकरघा, क्रॉकरी, कालीन, टेराकोटा का काम होता है। इनमें से कई जिले और उत्पाद ओडीओपी में भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हस्तशिल्प से जुड़े स्थलों को जोड़ते हुए क्राफ्ट सर्किट की स्थापना की जाएगी। उन्होंने बताया कि मेरठ, शाहजहांपुर, काकोरी, चौरीचौरा जैसे अनेक स्थान हैं जिनका देश के स्वतंत्रता संग्राम अभियान में अहम स्थान है। इन स्थानों को जोड़ते हुए स्वतंत्रता संग्राम सर्किट बनाया जाएगा। चरखारी, चित्रकूट, कलिंजर, झांसी, देवगढ़, ललितपुर, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन जैसे जिलों को शामिल करते बुंदेलखंड सर्किट की स्थापना की जाएगी।

रामायण और कृष्ण सर्किट का होगा विस्तार

महाभारत और शक्तिपीठ सर्किट भी बनेंगे
अरविंद शर्मा ने बताया कि हस्तिनापुर, कांपिल्य, एछत्र, बरनावा, मथुरा, कौशाम्बी, गोंडा, लाक्षागृह जैसे स्थानों जोड़ते हुए महाभारत सर्किट की स्थापना की जाएगी। विंध्यवासिनी देवी, अष्टभुजा से लेते हुए देवीपाटन, नैमिषारण्य, मां ललिता देवी, मां ज्वाला देवी, शाकुम्भरी देवी सहारनपुर से शिवानी देवी चित्रकूट और शीतला माता मऊ तक शक्तिपीठ सर्किट की स्थापना की जाएगी।

अध्यात्मिक स्थलों को जोड़ते हुए बनाएंगे आध्यात्मक सर्किट

प्रदेश के प्रमुख आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इनसे जुड़े प्रमुख स्थलों को जोड़ते हुए आध्यात्मिक सर्किट की स्थापना की जाएगी। गोरखपुर, बलरामपुर से लेकर मथुरा. संत रविदास स्थल, मां परमेश्वरी देवी आजमगढ़, बलिया का बिघू आश्रम, आगरा का बटेश्वर, हनुमान धाम शाहजहांपुर को शामिल किया जाएगा।

सूफी कबीर सर्किट भी बनेगा

प्रदेश में अमेठी, मगहर, संत कबीरनगर से लेकर कबीरदास की कर्मभूमि वाराणसी के लहरतारा तक सूफी कबीर सर्किट बनाया जाएगा। देवगढ़, हस्तिनापुर से लेकर पार्श्वनाथए दिगंबर जैन मंदिर रामनगर तक जैन सर्किट बनाया जाएगा।

वाइल्ड लाइफ और इको टूरिज्म का होगा विकास 

अरविंद शर्मा ने बताया कि पर्यटन नीति के तहत वाइल्ड लाइफ और इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए सैंचुरी और फॉरेस्ट रिजर्व को विकसित किया जाएगा। प्रदेश के प्राकृतिक स्थलों को भी विकसित किया जाएगा। प्रदेश में ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया जाएगा जहां पर इको टूरिज्म की संभावनाएं हैं। वहीं वाइल्डलाइफ से जुड़े क्षेत्रों को भी पर्यटन के लिहाज से विकसित करते हुए यहां पर्यटकों के अनुकूल सुविधाओं में बढ़ोतरी की जाएगी।

कम विकसित क्षेत्रों को मिलेगा बढ़ावा

एके शर्मा ने बताया कि कम विकसित क्षेत्रों को विकसित करके पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने की क्षमता है, इस क्षमता का उपयोग कर न केवल पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं रोजगार के साधन भी सृजित होंगे।

पर्यटन से जुड़ेंगी 22 तरह की एक्टिविटीज

ए.के.शर्मा ने बताया कि बजट होटल, हेरिटेज होटल, स्टार होटल, हेरिटेज होम स्टे, इको टूरिज्म की इकाइयां, कारवां टूरिज्म यूनिट, प्रदर्शनी, पिलग्रिम डॉर्मेट्री, धर्मशालाओं, वेलनेस रिसॉर्ट, आल वेदर सीजनल कैंप, जलाशय, झील, वेलनेस टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म जैसी कुल 22 एक्टिविटीज को नई नीति में जगह दी गई है।
दो निजी विश्वविद्यालयों के आशय पत्र जारी करने की मंजूरी 
प्रदेश में दो नए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए कैबिनेट ने आशय पत्र जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। 

जमीन मिली, संभल में क्रिकेट स्टेडियम का रास्ता साफ
संभल में क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने संभल में प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) की 10 एकड़ जमीन स्टेडियम के लिए खेल विभाग को हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को बुधवार को हरीझंडी दे दी। अपर मुख्य सचिव खेल नवनीत सहगल ने बताया कि सरकार की मंशा है कि प्रत्येक जिले में कम से कम स्टेडियम जरूर हो। चार जिलों चंदौली, संभल, हापुड़ व शामली को छोड़कर सभी जिला मुख्यालयों पर स्टेडियम बन गए हैं। चंदौली और शामली में भी जमीन की व्यवस्था हो गई है। पीआरडी की जमीन मिल जाने से संभल में भी स्टेडियम निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। हापुड़ में स्टेडियम के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। जल्द ही इसका प्रस्ताव भी कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा। इसके बाद सभी जिला मुख्यालयों पर स्टेडियम हो जाएंगे।
केंद्र सरकार से पारित मॉडल फायर एंड इमरजेंसी सर्विस बिल, 2019 को उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जाएगा। कैबिनेट ने बुधवार को डीजी फायर सर्विस की ओर से तैयार कराए गए उत्तर प्रदेश फायर एण्ड इमरजेंसी सर्विसेज अध्यादेश-2022 के मसौदे को मंजूरी दे दी। जल्द ही विधान मंडल के दोनों सदनों में इस बिल को पास कराकर विधेयक का रूप दिया जाएगा।
    
दरअसल 2019 में पूरे देश में फायर सर्विस अधिनियम में एकरूपता लाये जाने के लिए केंद्र सरकार मॉडल फायर सर्विस बिल 1958 में संशोधन करते हुए मॉडल फायर एंड इमरजेंसी सर्विस बिल ले आई थी। इसी क्रम में ‘उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अध्यादेश-2022’ लाया जाना प्रस्तावित था। उत्तर प्रदेश में अभी तक फायर फाइटिंग एक्ट 1944 लागू है। 2005 में फायर सर्विस से जुड़े दो अलग-अलग कानून बनाए गए। फायर प्रिवेंशन एंड फायर सर्विस एक्ट 2005 और इमरजेंसी रिस्पांस व डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 बनाया गया था। अब इन सभी को मिलाकर एक सेवा बना दी गई मेंटेनेंस आफ फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज। अब किसी आपात स्थित में फायर फाइटिंग की टीम एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की तरह काम कर सकेगी। इसके लिए फायर सर्विसेज के कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

डीजी जेल अविनाश चंद्रा ने बताया कि किसी आपात स्थिति के समय सबसे नजदीक पुलिस और फायर सर्विसेज स्टेशन ही होते हैं। ऐसे में गोल्डन आवर में लोगों की जान बचाने में फायर सर्विसेज के लोग भी मदद कर सकेंगे। इसके लिए फायर डिपार्टमेंट को जनशक्ति के साथ साथ उपकरण और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

फायर फाइटिंग में बाधा पैदा करने वालों को कर सकेंगे गिरफ्तार
अब फायर डिपार्टमेंट के कर्मियों के पास यह अधिकार होगा कि फायर फाइटिंग में बाधा पहुंचाने वाले को जेल भेज सकें। मसलन अगर पास में कोई इंडस्ट्री है और उसके पास फायर फाइटिंग सिस्टम है या उसकेपास पानी उपलब्ध है तो वह उसके इस्तेमाल के लिए मना नहीं कर सकेगा। इसके अलावा मौके पर पहुंचने के लिए फायर डिपार्टमेंट के कर्मी अतिक्रमण को तोड़ भी सकेंगे।

मालिक और किराएदार भी होंगे जिम्मेदार
फायर प्रिवेंशन के लिए संबंधित भवन के मालिक या किराएदार की जिम्मेदारी होगी कि वह वहां की अग्नि से सुरक्षा सुनिश्चित करे। इसके लिए एक माह के अंदर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना होगा। सरकार द्वारा एक अधिकृत एजेंसी बनाई जाएगी जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ होंगे। यह थर्ड पार्टी ऑडिट के रूप में काम करेंगे। भवन स्वामी को बताएंगे कि भवन में अग्नि सुरक्षा के लिए क्या-क्या आवश्यकता है। भवन में आग की घटना से हुई मौत पर संबंधित को मुआवजा भवन स्वामी को देना होगा।

व्यवसायिक भवनों में तैनात होंगे अग्नि सुरक्षा अधिकारी
अध्यादेश में व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अग्नि सुरक्षा अधिकारी की तैनाती का प्राविधान है। यानी हजो बड़े-बड़े रेजीडेंशियल कांप्लेक्स, इंडस्ट्री, हास्टिपल, नर्सिंग होम, होटल, स्कूल, कालेज, वेयर हाउसेस व अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अग्नि सुरक्षा अधिकारी की तैनाती होगी। इनकी जिम्मेदारी होगी कि वह अग्नि सुरक्षा से संबंधी उपकरणों को चलायमान रखें। उसकी समय-समय पर टेस्टिंग करते रहें। भवन स्वामी की जिम्मेदारी होगी कि वह साल में दो बार सेल्फ सर्टिफाई करे कि उनके प्रतिष्ठान में फायर फाइटिंग सिस्टम सही काम कर रहा है।

फायर डिपार्टमेंट भी सील कर सकेगा भवन
अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को लगता है कि कहीं अग्नि सुरक्षा से संबंधित नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो वह तीन घंटे की नोटिस पर संबंधित भवन का निरीक्षण कर सकता है। बार-बार कहने के बाद भी कोई नियमों को उल्लंघन कर रहा है तो उस भवन को खाली कराकर सील करने का अधिकार भी अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के पास होगा।

हाउस टैक्स की तर्ज पर लगाया जाएगा फायर टैक्स
अविनाश चंद्रा ने बताया कि इस अध्यादेश में गृह कर और जल कर की तर्ज पर अग्नि कर लगाए जाने का भी प्राविधान है। अग्नि कर के पैसों से अग्निशमन विभाग के अधिकारियों व कर्मियों को मुआवजा दिया जा सकेगा।

कर्मचारी के भागने पर दर्ज होगी एफआईआर
फायर फाइंटिंग से इंकार करने पर या भागने पर अग्निशमन विभाग के कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भी भेजने का प्राविधान नए अध्यादेश में किया गया है।

उन्नाव में बनेगा बड़ा प्रशिक्षण केंद्र
बड़ा ट्रेनिंग सेंटर बनेगा जिसमें कर्मियों के साथ-साथ आम लोगों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्नाव में अग्निशमन विभाग का जो प्रशिक्षण केंद्र है उसी का विस्तार किया जाएगा।

15वें वित्त आयोग से मिल सकेगी ग्रांट
इस अध्यादेश के लागू होने केबाद 15वें वित्त आयोग से अग्नि सुरक्षा के लिए दी जाने वाली ग्रांट यूपी को भी हासिल हो सकेगी। 15वें वित्त आयोग ने देश भर के लिए 5000 करोड़ रुपये का ग्रांट तय किया है। जिसमें यूपी का हिस्सा 378 करोड़ रुपये का है। 
आग से सुरक्षा के लिए भवन मालिक व किराएदार होंगे जिम्मेदार
कैबिनेट ने उप्र. फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अध्यादेश-2022 को मंजूरी दी है। इसके तहत अग्नि से सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित भवन के मालिक और किराएदार की होगी। इसके लिए एक माह के अंदर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना होगा। सरकार द्वारा एक अधिकृत एजेंसी बनाई जाएगी, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ होंगे। ये भवन स्वामी को बताएंगे कि भवन में अग्नि सुरक्षा के लिए क्या-क्या आवश्यकता है। अध्यादेश के तहत भवन में आग की घटना से हुई मौत पर संबंधित को मुआवजा भवन स्वामी को देना होगा। 

अध्यादेश के तहत किसी भी आपात स्थित में अग्निशमन विभाग की टीम एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की तरह काम कर सकेगी। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्नाव स्थित विभाग के प्रशिक्षण केंद्र का विस्तार किया जाएगा। इसमें आम लोगों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। डीजी फायर सर्विस अविनाश चंद्रा ने बताया कि जवानों को जनशक्ति के साथ उपकरण का व प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

व्यवसायिक भवनों में तैनात होंगे अग्नि सुरक्षा अधिकारी
अध्यादेश में व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अग्नि सुरक्षा अधिकारी की तैनाती का प्रावधान है। यानी बड़े रेजीडेंशियल कांप्लेक्स, इंडस्ट्री, हॉस्टिपल, नर्सिंग होम, होटल, स्कूल, कॉलेज, वेयर हाउस व अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अग्नि सुरक्षा अधिकारी की तैनाती होगी। इनकी जिम्मेदारी होगी कि वह अग्नि सुरक्षा से संबंधी उपकरणों को चलायमान रखें। उसकी समय-समय पर टेस्टिंग करते रहें। भवन स्वामी की जिम्मेदारी होगी कि वह साल में दो बार सेल्फ सर्टिफाई करेंगे कि उनके प्रतिष्ठान में फायर फाइटिंग सिस्टम सही काम कर रहा है।

हाउस टैक्स की तर्ज पर फायर टैक्स
नए अध्यादेश में गृह कर और जल कर की तर्ज पर अग्नि कर लगाए जाने का भी प्रावधान है। इसके पैसों से अग्निशमन विभाग के अधिकारियों व कर्मियों को मुआवजा दिया जा सकेगा।

15वें वित्त आयोग से मिल सकेगी ग्रांट
इस अध्यादेश के लागू होने के बाद 15वें वित्त आयोग से अग्नि सुरक्षा के लिए दी जाने वाली ग्रांट यूपी को भी हासिल हो सकेगी। 15वें वित्त आयोग ने देश भर के लिए 5000 करोड़ रुपये का ग्रांट तय किया है। इसमें यूपी का हिस्सा 378 करोड़ रुपये का है। 

अग्निशमन कर्मियों को भी गिरफ्तारी का अधिकार 
केंद्र सरकार से पारित मॉडल फायर एंड इमरजेंसी सर्विस बिल, 2019 को प्रदेश में भी लागू किया जाएगा। कैबिनेट ने इस बाबत उप्र. फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अध्यादेश-2022 के मसौदे को मंजूरी दे दी। इसके तहत आग बुझाने के दौरान बाधा पहुंचाने वाले को अग्निशमन विभाग की टीम गिरफ्तार कर जेल भेज सकेगी। टीम मौके पर पहुंचने के लिए अतिक्रमण भी तोड़ सकेगी। 
- अभियान के दौरान यदि कोई कर्मी काम से इनकार करता है या भागता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज कर जेल भेजने का भी प्रावधान है।
- नियमों के उल्लंघन पर भवन को खाली कराकर सील करने का अधिकार भी विभाग के अधिकारियों के पास होगा।
भ्रष्टाचार निवारण संगठन की इकाइयों को अब थाने का दर्जा
प्रदेश के 18 मंडलों में भ्रष्टाचार निवारण संगठन की इकाइयों को थाने का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। अभी तक भ्रष्टाचार निवारण संगठन के जो ट्रैप होते थे उन्हें स्थानीय थानों में दाखिल कराया जाता है। इकाइयों को थाने का दर्जा मिलने के बाद ट्रैप के मामले इन्हीं थानों में दर्ज होंगे और अभियुक्त इन्हीं थानों में दाखिल किए जाएंगे। इसके अलावा प्रदेश स्तरीय इंमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम यूपी 112 परियोजना के दूसरे चरण के क्रियान्वयन को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत यूपी 112 के लिए नई गाड़ियों की खरीद व अन्य संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। 

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